...

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तो हिम्मती हो तुम
अगर तुम अपने आप को थामे रख सकते हो जब चारों ओर लोग अपना धैर्य खो रहे हों और इसका दोष तुम्हें दे रहे हों,
अगर तुम अपने ऊपर भरोसा रख सकते हो जब सभी लोग तुम पर संदेह कर रहे हों,
अगर तुम इंतजार कर सकते हो और इंतजार से थकते नहीं हो,
अगर तुम झूठे होने पर भी झूठ का सहारा नहीं लेते,
तो हिम्मती हो तुम.....

अगर तुम सपने देख सकते हो पर सपनों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते,
अगर तुम सोच सकते हो पर विचारों को अपना लक्ष्य नहीं बनने देते,
अगर तुम सफलता और विफलता से एक जैसे मिल सकते हो,
अगर तुम सुन सकते हो अपने कहे गए सच को जो दुष्टों द्वारा तोड़ा-मरोड़ा गया हो,
तो हिम्मती हो तुम.....

अगर तुम अपनी सारी जीतों का ढेर बना सकते हो और गर्वित नहीं होते,
अगर तुम हार सकते हो और फिर से अपनी शुरुआत से शुरू कर सकते हो,
अगर तुम अपना सब कुछ खो करके भी अकेला नहीं महसूस करते,
अगर तुम तब भी रुकते नहीं जब तुममें कुछ भी नहीं बचा है सिवाय उस इच्छा के जो तुमसे कहती है: ‘चलते रहो!’
तो हिम्मती हो तुम.....

अगर तुम भीड़ से बात कर सकते हो और अपना चरित्र रख सकते हो,
अगर तुम राजाओं के साथ चल सकते हो पर अपना साधारण स्पर्श नहीं खोते हो,
अगर न तो दुश्मन और न ही प्यारे दोस्त तुम्हें चोट पहुँचा सकते हैं,
अगर तुम देख सकते हो उन चीज़ों को जिनमें तुमने अपना जीवन दे दिया, टूटे हुए और पाया नहीं,
तो हिम्मती हो तुम.....
© Er. Shiv Prakash Tiwari