...

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पथिक
यूं ही नही सिमटती जिंदगी, कई लम्ह़ें गुजरना होता है
कभी गै़र अपने बनते हैं,कभी अपनों को बिछड़ना होता है
कभी वादे करने पड़ते हैं ,कभी खुद ही मुकरना होता है
कुछ अरमां ऐसे होते हैं,बस दिल में ही भरना होता है
कितना ही समेटूं उनको फ़िर, हर बार बिखरना होता है
कुछ तो जंगें ऐसी हैं ,खुद से ही करना होता है
तय होती है हार मग़र ,फ़िर भी लड़ना होता है
कभी तो यूं ही इस बारिश से ,बेवज़ह ही मिलना होता है
कभी आंखों में भी पानी है,फ़िर भी जलना होता है
कभी तन्हा़ई में आंसू,कभी रोके भी हंसना होता है
इतनी आसां ये राह नही,गिर गिर के संभलना होता है
फ़िर भी तू ठहरा एक पथिक ,तुझको तो चलना होता है ।