...

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मिट्टी
इस मिट्टी के हम हमेशा आभारी रहेंगे.
क्योंकि इसी क़ी बदौलत हमें ये देह और उस देह के लिए भोजन उपलब्ध हुआ हैं

अंधेरों से घबरा कर मै उजालों क़ी ओर भाग गया था.
पर उजालों क़ी तीव्र चकाचोध ने मुझे आँखे बन्द करने क़ो विवश किया अर्थात मै फिर से अंधेरों में पहुंच गया था