तखल्लुस
जो देखते थे कभी चोरी चोरी निगाह भर के मुझे,
जिंदगी के अंधेरे में अपनी निगाहें बदल गए,
माँगा जिन्हे हमने हर पल हर दिन दुआओं में,
गमों की शाम होते ही, वो हसीन चेहरे बदल गए,
हद तो तब हो गई यारों, मेरी बदनसीबी की
जिनके साथ नाम मेरा जोड़ा ज़माने ने।
वो मुफलिसी के आलम में,
अपना 'तखल्लुस' बदल गए।
✍️😇© ranjeet prayas
जिंदगी के अंधेरे में अपनी निगाहें बदल गए,
माँगा जिन्हे हमने हर पल हर दिन दुआओं में,
गमों की शाम होते ही, वो हसीन चेहरे बदल गए,
हद तो तब हो गई यारों, मेरी बदनसीबी की
जिनके साथ नाम मेरा जोड़ा ज़माने ने।
वो मुफलिसी के आलम में,
अपना 'तखल्लुस' बदल गए।
✍️😇© ranjeet prayas