धरती बनी दुल्हन 🌍
#WritcoPoemPrompt63
बादलों की सीढ़ी बनाकर चढ़ जाऊं उस चांद पर
साथ उसके दुनिया घूमूं देखूं धरती को निहार कर
बन रही दुल्हन ये धरती अपनी जुल्फें बिखेर कर
पलकें झुका के शर्म आ रही है आसमां के पुकार पर
बादलों की सीढ़ी बनाकर चढ़ जाऊं उस चांद पर.....
समुंदर भी बना है दर्पण अपनी लहरों को शांत कर
चारों दिशाएं वारी जाए धरती के इस श्रृंगार पर
बादलों की सीढ़ी बनाकर चढ़ जाऊं उस चांद पर
साथ उसके दुनिया घूमूं देखूं धरती को निहार कर
© rupali shrivastav
बादलों की सीढ़ी बनाकर चढ़ जाऊं उस चांद पर
साथ उसके दुनिया घूमूं देखूं धरती को निहार कर
बन रही दुल्हन ये धरती अपनी जुल्फें बिखेर कर
पलकें झुका के शर्म आ रही है आसमां के पुकार पर
बादलों की सीढ़ी बनाकर चढ़ जाऊं उस चांद पर.....
समुंदर भी बना है दर्पण अपनी लहरों को शांत कर
चारों दिशाएं वारी जाए धरती के इस श्रृंगार पर
बादलों की सीढ़ी बनाकर चढ़ जाऊं उस चांद पर
साथ उसके दुनिया घूमूं देखूं धरती को निहार कर
© rupali shrivastav
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