तुम्हें अच्छा लगेगा क्या...
मेरी जिंदगी तुम्हारे बगैर यूँही कट जायेगी तुम्हें अच्छा लगेगा क्या
ज़िम्मेदारी और हसरतों के बीच फंस जायेगी तुम्हें अच्छा लगेगा क्या
बिना बात के बेवजह झगड़े किया करते हो जो तुम आजकल मुझसे
मेरे ना होने पर जब मेरी गैरमौजूदगी सतायेगी तुम्हें अच्छा लगेगा क्या
अपना नहीं कहते मुझे कोई गम नहीं पर बार-बार गैरों में क्यों गिनते हो
तुम्हें दरकिनार कर मैं किसी और की हो जाऊँ तुम्हें अच्छा लगेगा क्या
© आँचल त्रिपाठी
ज़िम्मेदारी और हसरतों के बीच फंस जायेगी तुम्हें अच्छा लगेगा क्या
बिना बात के बेवजह झगड़े किया करते हो जो तुम आजकल मुझसे
मेरे ना होने पर जब मेरी गैरमौजूदगी सतायेगी तुम्हें अच्छा लगेगा क्या
अपना नहीं कहते मुझे कोई गम नहीं पर बार-बार गैरों में क्यों गिनते हो
तुम्हें दरकिनार कर मैं किसी और की हो जाऊँ तुम्हें अच्छा लगेगा क्या
© आँचल त्रिपाठी