मिलें सुकून कहाँ?
व्यस्त जीवन में चैन और सुकून कहाँ?
याद आए कुछ बीते लम्हे, मिले कुछ सुकून वहाँ।
जिदंगी के दौड़ में, चले ही जा रहे थे,
समय निकाल घूम आए जब
यादों के मेले में, मिले कुछ सुकून वहाँ।
देखे कुछ संजोयी तस्वीरें,
तो कुछ सहेजे ख़तों को,
महसूस ऐसा हुआ, मिले कुछ सुकून वहाँ।
खोले कुछ बंद पुरानी किताबों को,
तो नजरें गयी कहीं देखने उपहारों को,
हर पल, हर क्षण यादगार हुए हैं,
मन को ऐसा लगा, मिले कुछ सुकून वहाँ ।
विचारों की गति धीमी हुई,
मन में शांति की तरंगें चलने लगी,
अशांत मन को शांति का किनारा मिला,
जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिला।
आखों में यादों की नमीं छा गई,
फिर मस्तिष्क पूछे, जिंदगी में सुकून कहाँ?
दिल ने कहा, यादों के मेले में,
मिलें कुछ सुकून वहाँ।
© Friends4ever
याद आए कुछ बीते लम्हे, मिले कुछ सुकून वहाँ।
जिदंगी के दौड़ में, चले ही जा रहे थे,
समय निकाल घूम आए जब
यादों के मेले में, मिले कुछ सुकून वहाँ।
देखे कुछ संजोयी तस्वीरें,
तो कुछ सहेजे ख़तों को,
महसूस ऐसा हुआ, मिले कुछ सुकून वहाँ।
खोले कुछ बंद पुरानी किताबों को,
तो नजरें गयी कहीं देखने उपहारों को,
हर पल, हर क्षण यादगार हुए हैं,
मन को ऐसा लगा, मिले कुछ सुकून वहाँ ।
विचारों की गति धीमी हुई,
मन में शांति की तरंगें चलने लगी,
अशांत मन को शांति का किनारा मिला,
जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिला।
आखों में यादों की नमीं छा गई,
फिर मस्तिष्क पूछे, जिंदगी में सुकून कहाँ?
दिल ने कहा, यादों के मेले में,
मिलें कुछ सुकून वहाँ।
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