...

2 views

औरत का संघर्ष
हर आशू पी कर, होठों पे हंसी रख लेते हैं,
हम तो औरत है, हम सब सह लेते हैं,
उस मालिक की सबसे हसीं हस्ती,
हमसे ही रौशन है, ये सारा जहां,
हमीं से रौनक है बड़े महलों की,
किस्से जाहिर करूं मैं हाले बयां,
रोज, अपनो को पराया बनते देख रही,
न हि मालूम क्या करना, कहां है जाना,
जैसे भी हो सितम झेल रहीं,
न जीना, नही है बची और खुआईस,
सहते सहते, आज मन पूछ रहा, क्यों
हैं मेरी जीवन बीरान इतनी, थक
गई हूं, थक गई...
काश एक बार सब बदल जाए,
हम भी ख़ुद को खुशनसीब बना पाए,
बस यही दुआ है, अब ऐ मालिक तुझसे।


© Life is beautiful