...

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मंज़िल की राह
हर मंजिल के राहों में रूकावटें तो होती ही हैं,
हर मुश्किल के बाद ऐ कदम राहत तो होती ही हैं।
कि मुझे पराजय करने का ऐ मंज़िल,
न ही रूकावटों में ज़ोर है।
रोड़े हर कदम पर है ऐ मंज़िल ,
मगर हर तरफ चाहतों का ही शोर,
कि मेरे सिद्दत के आगे ऐ मंज़िल,
ये रूकावटें भी कमज़ोर है।।
कि खुद को बुलंद इस कदर कर के,
हर मुश्किल का रूख मोड़ दूंगा।
कि मुश्किल राहों में जितने भी हो,
मैं सबकों पीछे छोड़ दूंगा।।





© Abhijeet Dwivedi