...

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मंजिल
यूं घूंट घूंट में क्यों अपनी जिंदगी पी रहे हो,
सिर्फ जिंदा दिखते हो न जाने कैसे जी रहे हो,

मंजिल काफी दूर है फिर भी खड़े हो यहाँ,
थक गए हो तुम या रास्ता भटक गये हो,

इश्क़ की कहानी नजर आती है तुम्हारी आंखों में,
क्या अभी तक किसी का इन्तजार कर रहे हो,

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