...

16 views

लोग तो नाम तक भूल जाते हैं।
कान्हा ने तो सबको कृष्ण ही बनाया,
जाने क्यों हम सुदामा बनते जाते हैं,
10 दिया जब मुरलीवाले ने तो उसमें से,
जरूरतमंद को 2 क्यों नहीं दे पाते हैं।
क्या हमने पा लिया जहां में जो,
यूं खुद को बेहतर समझ इतराते हैं,
पालनहार की मर्जी बिना तो क्या,
पेड़ों के पत्ते भी हिल पाते हैं?
हो तुम खुशकिस्मत जो तुम्हें माया मिली,
किसी को गरीबी को छाया मिली,
क्यों गुमान है आज सामर्थ्य पर इतना,
शाम होते तो सूर्यदेव भी ढल जाते हैं।
अमीर हो गर तो कुछ ऐसे काम करो,
अच्छे इंसान का तगमा अपने नाम करो,
पैसे, धन- दौलत का छोड़ो भाई,
लोग तो नाम तक भूल जाते हैं।
जो भीड़ आज नजर नहीं मिला पाती,
तुम्हारे दसवें पर गर्म पूड़ी वो मांगेंगे,
दुनिया की रीत ही ऐसी मानुष,
आँख बंद होते ही लोग राख बना दिये जाते हैं।

✍️© शैल