शहीद ऊधम सिंह
जलियां वाला बाघ के हत्याकांड ने जब पूरे देश का खून उबाला था।
तब एक शूरवीर ने उस मिट्टी को साक्षी मान इसका बदला लेने का प्रण ले डाला था।।
यह वीर कोई और नहीं था स्वतंत्रता सैनानी उधम सिंह जो था बहुत निडर और जांबाज़।।
डरता नहीं था उठाने से कभी आजादी के लिए आवाज़।।
दो साल की उम्र में मां चल बसी, सात में चल बसे पिता।
बड़े भाई संग बचपन उनका अनाथ आश्रम में बीता।।
भाई भी जब चल बसा तब हो गए पूर्ण अनाथ।।
छोड़ आए अनाथालय, देने लगे स्वंतत्रता सेनानियों का साथ।।
जलियां वाला बाघ की मिट्टी की सौगंध खाई लेने को बदला अपने हज़ारों भाई बहनों की मौत का।
पहचान बदल कई देशों से होते हुए पहुंचे इंग्लैंड... करने को हिसाब अपने दिल पर लगी चोट का।।
मां बाप ने नाम दिया था...
तब एक शूरवीर ने उस मिट्टी को साक्षी मान इसका बदला लेने का प्रण ले डाला था।।
यह वीर कोई और नहीं था स्वतंत्रता सैनानी उधम सिंह जो था बहुत निडर और जांबाज़।।
डरता नहीं था उठाने से कभी आजादी के लिए आवाज़।।
दो साल की उम्र में मां चल बसी, सात में चल बसे पिता।
बड़े भाई संग बचपन उनका अनाथ आश्रम में बीता।।
भाई भी जब चल बसा तब हो गए पूर्ण अनाथ।।
छोड़ आए अनाथालय, देने लगे स्वंतत्रता सेनानियों का साथ।।
जलियां वाला बाघ की मिट्टी की सौगंध खाई लेने को बदला अपने हज़ारों भाई बहनों की मौत का।
पहचान बदल कई देशों से होते हुए पहुंचे इंग्लैंड... करने को हिसाब अपने दिल पर लगी चोट का।।
मां बाप ने नाम दिया था...