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शहीद ऊधम सिंह
जलियां वाला बाघ के हत्याकांड ने जब पूरे देश का खून उबाला था।
तब एक शूरवीर ने उस मिट्टी को साक्षी मान इसका बदला लेने का प्रण ले डाला था।।

यह वीर कोई और नहीं था स्वतंत्रता सैनानी उधम सिंह जो था बहुत निडर और जांबाज़।।
डरता नहीं था उठाने से कभी आजादी के लिए आवाज़।।

दो साल की उम्र में मां चल बसी, सात में चल बसे पिता।
बड़े भाई संग बचपन उनका अनाथ आश्रम में बीता।।

भाई भी जब चल बसा तब हो गए पूर्ण अनाथ।।
छोड़ आए अनाथालय, देने लगे स्वंतत्रता सेनानियों का साथ।।

जलियां वाला बाघ की मिट्टी की सौगंध खाई लेने को बदला अपने हज़ारों भाई बहनों की मौत का।
पहचान बदल कई देशों से होते हुए पहुंचे इंग्लैंड... करने को हिसाब अपने दिल पर लगी चोट का।।

मां बाप ने नाम दिया था शेर सिंह और उस नाम को सच कर डाला।
अपनी प्रतिज्ञा को बिन डरे सत्य किया, जब 21 साल बाद उन्होंने ने जनरल डायर को मार डाला।।

मार उस शैतान को, उनके चेहरे पे सुकून था।
भागने की कोशिश भी ना की, वतन के प्रेम का इतना जुनून था।।

फांसी की सज़ा सुन भी चेहरे पे उनके मुस्कान थी।
यह देश भक्ति का जज्बा ही उनकी सच्ची पहचान थी।।

सब धर्मो को समान समझने वाले अपना नाम राम मुहम्मद सिंह आजाद थे बताते।
इसी नाम के साथ वो सब देशों में अपनी असली पहचान थे छुपाते।।

31जुलाई को ही शहीद हुए यह शूरवीर भारत मां के लाल।
क्या उनकी कुर्बानी का सही मोल दे रहे है हम?
उठता है मन में सवाल।।

राम, मुहम्मद, सिंह और आजाद यह सभी शब्दों को कर दिया एक दूसरे से दूर।
गवा दिया हमने ऐसे शूरवीरों के जज्बे को और कर दिया उनको सपनों को चूर चूर।।

क्या इसी आजादी के लिए हुए थे वो कुर्बान।
इस भारत की तस्वीर देख क्या देते कभी वो जान।।

आओ इन शूरवीरों का रखे हम कुछ तो मान।
एक जुट हो कर प्रेम से बढ़ाए, अपनी मिट्टी की यह शान।।

आओ मिल कर दे इन वीरों को श्रद्धांजलि और करे शत शत नमन।
आओ बनाए उनके सपनों का भारत जहां रोशन हो हर चमन।।


© Vasudha Uttam