...

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अपनों का साथ
कुछ समय बिता लो अपनों के साथ  ये लम्हात कल हो न हों,
न जाने कब छूट जाए किसका हाथ उनसे बात कल हो न हो।

मसरूफ़ियत तो ज़िंदगी में  अंतिम सांस तक बनी ही रहेगी,
फ़िक्रमंद  रहने वाला ये परिवार तुम्हारे साथ कल हो न हो।

प्यार मोहब्बत के ये पल आज समेट लो अपने आँचल में तुम,
दिलों में उमड़ रहे हैं जो आज जाने वो जज़्बात कल हो न हों।

ज़िंदगी की जद्दोजहद में एक दिन हो जाएंगे सभी अपने दूर,
चाह कर भी दिल में क़ुर्बतों के ये एहसासात कल हो ना हों।

माता-पिता भाई बहनों की ये चाहते फ़िर हासिल न होंगी 'पारुल',
खुशनसीबों के मुकद्दर की ये कीमती सौगात कल हो न हो।