अपनों का साथ
कुछ समय बिता लो अपनों के साथ ये लम्हात कल हो न हों,
न जाने कब छूट जाए किसका हाथ उनसे बात कल हो न हो।
मसरूफ़ियत तो ज़िंदगी में अंतिम सांस तक बनी ही रहेगी,
फ़िक्रमंद रहने वाला ये परिवार तुम्हारे साथ कल हो न हो।
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न जाने कब छूट जाए किसका हाथ उनसे बात कल हो न हो।
मसरूफ़ियत तो ज़िंदगी में अंतिम सांस तक बनी ही रहेगी,
फ़िक्रमंद रहने वाला ये परिवार तुम्हारे साथ कल हो न हो।
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