*** मौजूदगी ***
*** कविता ***
*** मौजूदगी ***
" कुछ सच बताऊं तो
मैं तूझे कुछ कुछ जान ने लगा हु ,
मैं तेरी चोर नज़र को ,
अब मैं थोड़ा थोड़ा पहचाने लगा हु ,
हो रही तेरी आदतें मसगुल ,
जिस तरह मैं तेरी तरफ रजामंद हु ,
मेरे तहरीर पे पन्ने ,
कोरे कागज...
*** मौजूदगी ***
" कुछ सच बताऊं तो
मैं तूझे कुछ कुछ जान ने लगा हु ,
मैं तेरी चोर नज़र को ,
अब मैं थोड़ा थोड़ा पहचाने लगा हु ,
हो रही तेरी आदतें मसगुल ,
जिस तरह मैं तेरी तरफ रजामंद हु ,
मेरे तहरीर पे पन्ने ,
कोरे कागज...