...

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क़िताब की ख़ामोशी
जब भी ख़ुद को हमने तन्हा पाया था
टूटा जब अपना दिल था
यारों ने भी जब ना समझा था
ख़ुद को बोलने में असमर्थ माना था
खामोशियों में फ़िर अपना सुकूँ पाया था
बारिश की...