...

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दूर

दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
लंबे समय से तेरा इंतज़ार कर रहा कोई;
कोई तो पूछे उस मुसाफ़िर से,
क्या वजह है ऐसी जो ,
उसके सामने होकर भी उससे दूर है।