...

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मुखौटा
जहां भी मैं देखूं, यहाँ सभी ने पहेने हुए मुखौटे है,
कैसे मैं आपको बताऊं, यहाँ तो सभी दिलजले है

लोगो की खुशियों से उन्हें होती जलन है,
लोगो के घर में आग लगाना ही उनका मकसद है

खुद की खुशियों के उन्हें पड़े फांफे है,
दूसरो को खुश देखकर वही लोग जलते है

लोगो के घर में तांक-झांक करना ही उनको भाता है,
खुद के ऊपर ध्यान देना उन्हें कहां आता है

खुद के बच्चे पर तो उनकी निगाहें जाती नहीं,
और शर्माजी के बच्चे के मार्क्स से उनकी निगाहें हटती नहीं

खुद की बच्ची का तो कोई ठिकाना नहीं,
और दूसरो की बच्चियों को...