...

1 views

ज़िंदगी
कभी फूल की महक जैसी आती हैं
कभी बनके इंद्रधनुष रंग कहीं दिखलाती है
अपनों को अनजान कभी...कभी गैरों को अपना बनती है
ये ज़िन्दगी है कभी हसाती तो कभी रुला देती है

कागज की नाव जैसी उतरी सांझ में गाव जैसी
टहरी धूप में छाव जैसी
ये ज़िन्दगी है कभी हसाती तो कभी रुला देती है

रोक देती कभी हरा के कभी आगे खुद की बड़ा देती है
हो मुश्किल कितनी ही खुद ही रास्ता दिखा देती है
ये ज़िन्दगी है कभी हसाती तो कभी रुला देती है

सवार लो या गवा दो इसे
ये न करेगी कभी गिला
के बनके निकलो कुछ इससे
या हो जाओ ऐसे ही फना
ये एन करेगी कभी गिला
ये ज़िन्दगी है कभी हसाती तो कभी रुला देती है
-
© @mrblank00