❣️....."संगम दिलों का".....❣️
कर के दरकिनार लबों की नीरवता, कि- आज मेरी आँखों में प्रेम गढ़ ले।
मैं हो जाना चाहती हूँ तुझसी प्रिय, कि- आ मुझे अपनी रूह में मढ़ ले।।
बन जाऊँ मैं ग़ज़ल तेरे हर्फ़ों की, और तुझे मैं अपना ज़ीस्त-ए-सुकूँ क़रार दूँ।
तू मुझमें समाया है आयत की तरह, कि- तू भी मुझे क़ुरआन सा पढ़...