पंखे की ख़ामोश पुकार
जब एक इंसान पंखे से लटकने जाता होगा तो वो पंखा उससे क्या कहता होगा?
आज अपने ग़मों को याद करके मेरे पास,
जो सपने सजाए थे उन्हें भूल के आज।
आजा तू मेरे पास,
वो सपने, वो परिवार, वो दोस्त-यार,
सब बस एक धोखा था,
आजा मेरे पास तुझे झुलाऊंगा मैं अपने हाथों के साथ।
बस तू कपड़ा अपना लाना, बाकी मेरे हाथ हैं,
आजा, प्यार मेरा सच्चा है।
सबको छोड़ तू,
अपने आप को मुझको सौंप तू।
एक बार कपड़ा तो डाल,
एक बार हिम्मत तो कर।
जीवन जीना आसान था,
पर उसे छोड़ना मुश्किल।
और मुझे पता है तू हिम्मत...
आज अपने ग़मों को याद करके मेरे पास,
जो सपने सजाए थे उन्हें भूल के आज।
आजा तू मेरे पास,
वो सपने, वो परिवार, वो दोस्त-यार,
सब बस एक धोखा था,
आजा मेरे पास तुझे झुलाऊंगा मैं अपने हाथों के साथ।
बस तू कपड़ा अपना लाना, बाकी मेरे हाथ हैं,
आजा, प्यार मेरा सच्चा है।
सबको छोड़ तू,
अपने आप को मुझको सौंप तू।
एक बार कपड़ा तो डाल,
एक बार हिम्मत तो कर।
जीवन जीना आसान था,
पर उसे छोड़ना मुश्किल।
और मुझे पता है तू हिम्मत...