चरणों की दासी
नहीं बनाओ अपने सिर का ताज मुझे
फ़क़त अपने चरणों की दासी रहने दो,
नहीं दिलाओ कोई नई पहचान मुझे
फ़क़त अपने दिल के किसी कोने में रहने दो,
नहीं डूबना तुम्हारी झील सी आँखों में मुझे...
फ़क़त अपने चरणों की दासी रहने दो,
नहीं दिलाओ कोई नई पहचान मुझे
फ़क़त अपने दिल के किसी कोने में रहने दो,
नहीं डूबना तुम्हारी झील सी आँखों में मुझे...