...

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नाम चलता बहोत है।।
तेरी गुर्बत की राहें सजा दी है हमने,
तेरे स्वागत में पलकें बिछा दी है हमने,

हमारे सपनो को तुम क्या राख करोगी जाना,
खुद से ही खुद की चिता जला ली है हमने,


राहो में जो चले थे तो तुमसे मीले थे,
मंज़िले भी मिली थी यूँ ही चलते चलते,

मैं तो शुक्रा करूँ रब का की तुम मिल गयी जो,
वरना कहाँ साथ मिलता है यूँ चलते चलते,

देखो शुरू हुई है अब ये मुलाकाते,
साथ बीतेंगे दिन, संग गुजरेंगी राते,

अब बस, तुम अपने मन को संभालना,
क्योंकि वो मचलता बहोत है,

तुम्हारा यूँ हमसे निगाहे चुराना,
हमको खलता बहोत है,

और अपने नाम का दामन बचाये रखना,
मेरे नाम के साये से...."प्रियतम,

क्योंकि मोहब्बत की दुनियां में ये नाम चलता बहोत है।।
© Vivek

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