नाम चलता बहोत है।।
तेरी गुर्बत की राहें सजा दी है हमने,
तेरे स्वागत में पलकें बिछा दी है हमने,
हमारे सपनो को तुम क्या राख करोगी जाना,
खुद से ही खुद की चिता जला ली है हमने,
राहो में जो चले थे तो तुमसे मीले थे,
मंज़िले भी मिली थी यूँ ही चलते चलते,
मैं तो शुक्रा करूँ रब का...
तेरे स्वागत में पलकें बिछा दी है हमने,
हमारे सपनो को तुम क्या राख करोगी जाना,
खुद से ही खुद की चिता जला ली है हमने,
राहो में जो चले थे तो तुमसे मीले थे,
मंज़िले भी मिली थी यूँ ही चलते चलते,
मैं तो शुक्रा करूँ रब का...