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ख्याल तेरे सताने लगे
212 212 212 212
ख्याल तेरे हमें यूं सताने लगे
भूलने को तुम्हें तो ज़माने लगे
भूल पाये नहीं हम कभी वो समा
याद जिसकी हमें यूं रुलाने लगे
जो मिले थे ज़माने से हमको कभी
दाग़ दिल के हमें वो सताने लगे
जो छुपाये कभी मुश्किलों से बहुत
क्यों वही राज़ दिल को दुखाने लगे
दुश्मनों से मिले दोस्तों की तरह
यूं ही रिश्ते सभी हम निभाने लगे
भूल के हम गिले ज़िन्दगी में सभी
ज़िन्दगी ख़ूबसूरत बनाने लगे।
© अमरीश अग्रवाल "मासूम"
ख्याल तेरे हमें यूं सताने लगे
भूलने को तुम्हें तो ज़माने लगे
भूल पाये नहीं हम कभी वो समा
याद जिसकी हमें यूं रुलाने लगे
जो मिले थे ज़माने से हमको कभी
दाग़ दिल के हमें वो सताने लगे
जो छुपाये कभी मुश्किलों से बहुत
क्यों वही राज़ दिल को दुखाने लगे
दुश्मनों से मिले दोस्तों की तरह
यूं ही रिश्ते सभी हम निभाने लगे
भूल के हम गिले ज़िन्दगी में सभी
ज़िन्दगी ख़ूबसूरत बनाने लगे।
© अमरीश अग्रवाल "मासूम"
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