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मौन!!
#अपराध
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है
जब दर्द से कराहती है जिंदगी
मन मौन करने की बात करता है
हाँ जब भी कोई दिल पर आघात करता है।
तोड़ देता है जब कोई जज्बात
मन सिहर जाता है
जब कोई दोस्त घात करता है
आजकल कहाँ सच पर कोई बात करता है
खड़ी है दीवार नफरत की लोगों में
होड़ है आगे आगे जीने में
आदमी की फितरत है पीने में
नही किसी को दर्द अब दूसरे के लिए सीने में
पिघलती नही अब अवसाद की चट्टानें
अब आदमी खुद रखता है अवसाद सीने में
मौन रहकर खुद विष पी रहे हैं लोग अक्सर
नही देखते किसी को लोग लगे हैं खुद जीने में।
© All Rights Reserved
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है
जब दर्द से कराहती है जिंदगी
मन मौन करने की बात करता है
हाँ जब भी कोई दिल पर आघात करता है।
तोड़ देता है जब कोई जज्बात
मन सिहर जाता है
जब कोई दोस्त घात करता है
आजकल कहाँ सच पर कोई बात करता है
खड़ी है दीवार नफरत की लोगों में
होड़ है आगे आगे जीने में
आदमी की फितरत है पीने में
नही किसी को दर्द अब दूसरे के लिए सीने में
पिघलती नही अब अवसाद की चट्टानें
अब आदमी खुद रखता है अवसाद सीने में
मौन रहकर खुद विष पी रहे हैं लोग अक्सर
नही देखते किसी को लोग लगे हैं खुद जीने में।
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