...

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यादों के सहारे
यादों के सहारे
जीवन चलता है
पश्चयाताप के अग्नि में
दिल जलता है
मुकाबला कौन करे
यादों का भला
जिसकी गर्मी से
जीवन पिघलता है
जब उमड़ता है तूफान
दिल के अंदर
आखों से अश्रु बन
झर झर बहता है
न रहता समय का सुध
न ही जगह का
शायद इसलिए लोग
दीवाना कहता है
केंचु के पत्ते सा
बन गया हूँ मैं
अपमान की बारिश
भी कहाँ ठहरता है

© sushant kushwaha