...

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तब वह एक सैनिक कहलाया है...
घर उसने अपना त्याग दिया हंसकर,
अपनों से वह दूर हुआ, यादें बनकर,
चल पड़ा वतन की रक्षा की खातिर,
"फिर मिलने आऊंगा", यह कहकर ,
जब उसने घर त्याग, वतन अपनाया है,
तब वह एक सैनिक कहलाया है।

उसकी मां ने आंख का तारा त्यागा,
पिता ने अपना एक सहारा त्यागा,
भाई-बहन जो उसका हाथ थामते थे,
उन्होंने अपना भाई प्यारा त्यागा,
तब वह आगे बढ़, हथियार उठा पाया है,
तब वह एक सैनिक कहलाया है।

जिससे उम्रभर साथ निभाने का वादा लिया,
उसकी उस पत्नी ने, मांग का सितारा त्यागा,
जिनको खेलना था, अभी गोद में उसकी,
उसके उन बच्चों ने, अपना अंबर सारा त्यागा,
तब वह सीमा पर जा, वतन बचा पाया है,
तब वह एक सैनिक कहलाया है।
© Aniket Sahu