चाॅंद
अक्सर मुझे अपना चाँद कहता है वह
मेरे लिए रातों को भी जगता है वह
अगर दीदार ना हो उसको मेरा
शब-भर छत पर टहलता है वह
भर ले जो बादल...
मेरे लिए रातों को भी जगता है वह
अगर दीदार ना हो उसको मेरा
शब-भर छत पर टहलता है वह
भर ले जो बादल...