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धैर्य
आँखों का थोड़ा जल
आँखों में रहने दो
जाने कोई कब कहाँ
कोई रोग मिल जाए
दिल तोड़ने की फितरत वाले
लोग भी तो रहते हैं
जाने कोई कब कहाँ
कोई लोग मिल जाए
किसी अनिच्छित घड़ी में तो
तूने वियोग का वहन किया
दिल पर खुद पत्थर रखकर
तूने भार को सहन किया
हो सकता कल फिर मिलने का
कोई योग मिल जाए
© Anil Mishra
आँखों में रहने दो
जाने कोई कब कहाँ
कोई रोग मिल जाए
दिल तोड़ने की फितरत वाले
लोग भी तो रहते हैं
जाने कोई कब कहाँ
कोई लोग मिल जाए
किसी अनिच्छित घड़ी में तो
तूने वियोग का वहन किया
दिल पर खुद पत्थर रखकर
तूने भार को सहन किया
हो सकता कल फिर मिलने का
कोई योग मिल जाए
© Anil Mishra
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