मेरे कुछ सवाल हैं u से
हमारे बीच के फासलों ओर इतने सालो के साथ के बाद भी हमारी बेपनाह मोहब्बत को देख कर जिसने जो भी कहा मेरे बारे में मैंने सुन लिए u के समझने के बाद मुझे भी कोई फर्क नहीं पड़ा बस इसलिए कि मुझे हमेशा से बस इस बात से फर्क पड़ता है कि u क्या सोचते हो मेरे बारे में क्या कहते हो u को ही बस अपनी दुनिया मानती हूं
पर उस रोज़ तुम्हारी बातें सुन कर खुद के वजूद ओर...
पर उस रोज़ तुम्हारी बातें सुन कर खुद के वजूद ओर...