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मैं अकेला हूँ सफर में, मैं अकेला हूँ...
मैं अकेला हूँ सफर में, मैं अकेला हूँ
ढूंढता हूँ दूर तक में, कोई साथी हो मेरा
फिर पता चलता है कि, मैं हूँ अकेला , हूँ अकेला
फिर कदम बढ़ते अकेले, अपनी मंज़िल की तरफ
फिर कभी देखा न मैंने, किसी साथी के लिए
मैं हूँ अकेला, हूँ अकेला, हूँ अकेला, हूँ अकेला
मैं ना थकता हूँ कभी, मैं खुद ही खुद के साथ हूँ
चीरते हुए लहरों को मैं, पहुंचा मंज़िल के पास हूँ
ना गौर कर तू इस दुनिया पर, तू खुद पर बस गौर कर
लोग आते-जाते रहते, तू न उन पर गौर कर
अपनी मंज़िल ना भूल तू, फिर बहुत पछतायेगा
रोयेगा तू दर्द में, फिर बहुत पछतायेगा
वक़्त गुज़रता है तो फिर , कभी लौटकर आता नहीं
दर्द रह जाएंगे दिल में, और आंख में आँसू तेरे
है वक़्त अभी, तू वक़्त के साथ चलना सीख ले
मैं हूँ अकेला, हूँअकेला, हूँ अकेला, हूँ अकेला...
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