...

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"कुछ कर नहीं पाओगे"
ज़िंदा रहोगे बे-शक, मर नहीं पाओगे,
जिस्म में हरकत रहेगी मगर कुछ कर नहीं पाओगे..

ये इश्क करना तो ज़रा सोच समझकर करना यारों,
इस इंतजार के दौर से तुम गुज़र नहीं पाओगे..

बिखर जाएगा ज़रा-ज़र्रा तुम्हारा,
जो पड़े इसके चक्कर में फिर निखर नहीं पाओगे..

निकाल दोगे खुद को खुद के अंदर से ही,
फिर याद रखना रहने को कहीं बसर नहीं पाओगे..

अगर हाथ आएगी तुम्हारे तो सिर्फ इंतजार की धूल आएगी,
इसे पार ना कर सके तो फिर मोहब्बत का शिखर नहीं पाओगे..

तड़प-तड़प कर रूह तुम्हारी बस उस्का ही साथ मांगेगी,
और एक दिन इस किराए के घर से तुम बेघर हो जाओगे..

आखिरी अल्फाज़ों में बस यही कहूँगा इश्क के राहगीरों से,
फैसले की घड़ी में भी बस महबूब को याद करना,,
क्या पता तुम उसके नाम से ही जन्नत पा जाओगे...

और इसके अलावा कुछ नहीं कर पाओगे....

© maayusummi💙💜