"कुछ कर नहीं पाओगे"
ज़िंदा रहोगे बे-शक, मर नहीं पाओगे,
जिस्म में हरकत रहेगी मगर कुछ कर नहीं पाओगे..
ये इश्क करना तो ज़रा सोच समझकर करना यारों,
इस इंतजार के दौर से तुम गुज़र नहीं पाओगे..
बिखर जाएगा ज़रा-ज़र्रा तुम्हारा,
जो पड़े इसके चक्कर में फिर निखर नहीं पाओगे..
निकाल दोगे खुद को खुद के अंदर से ही,
फिर...
जिस्म में हरकत रहेगी मगर कुछ कर नहीं पाओगे..
ये इश्क करना तो ज़रा सोच समझकर करना यारों,
इस इंतजार के दौर से तुम गुज़र नहीं पाओगे..
बिखर जाएगा ज़रा-ज़र्रा तुम्हारा,
जो पड़े इसके चक्कर में फिर निखर नहीं पाओगे..
निकाल दोगे खुद को खुद के अंदर से ही,
फिर...