...

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तुम फ़िक्र मत करो
अभी लड़ रहा हूँ दुनिया से,खुद से,
जब हार जाऊंगा, तो मर जाऊंगा..

ढूंढ रहा था वजह खुश रहने की,
कोई हो जो दे ताक़त ये सब सहने की..

शायद तुम्हे मै सही नहीं लगा,
लेकिन परेशान न हो मुझे बुरा न लगा..

ये दुनिया है इसमें ऐसा ही होता है,
इंसान वही चाहता है जो नसीब में न होता है..

सोचा शायद तुम समझोगे जज़्बात मेरे,
ग़लतफहमी में बन गए ये हालात मेरे..

तुम साथ न दो कोई ग़म नहीं ,
खुश ही हूँ मै,ये आँखें नम नहीं..

तुमसे कोई शिकायत नहीं,
अब कोई ज़िक्र मत करो,
मै ठीक हूँ, तुम मेरी फ़िक्र मत करो..



© IndoreKeGopal