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मृत्यु :एक त्यौहार
इस प्रकृति का विधान है है
या यम की पहचान है,
किसी के लिए वरदान है
या किसी के कर्मों का अन्जाम है??
जिसकी अपनी ना है कोई ऋतु
क्या होती है ये मृत्यु??
जीवन का ही अवतार है मृत्यु
बहती धारा की धार है मृत्यु
आत्मा को किसी अपने से(परमात्मा)
एक गहरा दीदार है मृत्यु।।
बिल्कुल एक कविता की ही भांति
इस जीवन की कविता का सार है मृत्यु
जन्म तो लिया मरने के लिए ही न
तब तो ये सारा संसार है मृत्यु।।
जिसको कोई भेद न पाए
ऐसी एक दीवार है मृत्यु
जिसका कोई न करता इन्तज़ार
ऐसी एक समाचार है मृत्यु।।
हर खुशियों पर वार है मृत्यु
जीवन से लड़ते हुए भी,
हर मोक्ष का द्वार है मृत्यु,
कौन कहता है बेकार है मृत्यु
प्रकृति की संतुलन का आधार है मृत्यु।।
जो...