Mein mukhtasar hoon!
में मुख्तसर हूँ!
तू मत आ मेरे आँगन में।
खुश्बू नहीं रही फूलों में!
तू मत झांक अब गुलशन में।
मोसम-ऎ-ख़िज़ां की भेंट चढ़ गये!
वो पत्ते जो सूरज की तपिश को रोकते थे!
अब नहीं...
तू मत आ मेरे आँगन में।
खुश्बू नहीं रही फूलों में!
तू मत झांक अब गुलशन में।
मोसम-ऎ-ख़िज़ां की भेंट चढ़ गये!
वो पत्ते जो सूरज की तपिश को रोकते थे!
अब नहीं...