...

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अब कोई नही।
समझाने को बैठा है ज़माना
समझने को कोई नहीं।
क्या है दिल में!
वो बस दिल में है।
सुनाने को बैठा है ज़माना
सुनने को कोई नहीं।

मुस्कुराए जो ना
तो कतराता है ज़माना।
सुझाव देते हैं सब
पर दवा कोई नहीं।
ख़ुशी जाने पर
हसीं बन जाते है अब।
"क्यों परेशान है
मैं हूं ना"
कहकर गले लगाने वाला....
अब कोई नहीं।

दिल भारी हो
और किसी से दिल हल्का ना कर पाओ।
फ़ोन में नाम हो बहुत
पर किसी से दुख साझा ना कर पाओ।
उठा कर
पूरी लिस्ट छान कर,
वापस बन्द करके रख दो।
कितने अकेले हो
एहसाह कराता है।
ख़ुशी में शामिल होने को है ज़माना
अकेले होने पर हाथ थामने वाला....
अब कोई नहीं।



© शिखर