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एक पथ मोड सा
मन भ्रम से घिरा।
एक इन्सान कई राहो से घिरा है।
चले तो रहेगा क्या वो हमेशा एक पथ?
या बदलनी पड़ेगी राहे मोड कई होंगे अजीब।
मुड़ना सम्भव हो पायेगा।
या जीवन बीते सबक बन जायेगा।
सब कुछ अलग लग रहा होगा।
कोई होगा साथ या छूट जायेंगे पीछे उसके।
अकेला रहना जानता हो या नहीं।
हर किसी को देखता है अब वो शक की नजर।
© 🍁frame of mìnd🍁
एक इन्सान कई राहो से घिरा है।
चले तो रहेगा क्या वो हमेशा एक पथ?
या बदलनी पड़ेगी राहे मोड कई होंगे अजीब।
मुड़ना सम्भव हो पायेगा।
या जीवन बीते सबक बन जायेगा।
सब कुछ अलग लग रहा होगा।
कोई होगा साथ या छूट जायेंगे पीछे उसके।
अकेला रहना जानता हो या नहीं।
हर किसी को देखता है अब वो शक की नजर।
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