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हिन्दी के विस्तृत रंग
#Hindikerang

'अ' से अक्षर अक्षय रहता सदा अनंंत ब्रह्मांड में विचरता,
'आ' से आगमन आदिशक्ति का शव को भी शिव कर देता,
'इ' है इड़ा पिंगला नाड़ी राष्ट्र की नस नस में दौड़ रही,
ईश्वर का सदा स्मरण कराती 'ई' है एक विदुषी नारी,
'उ' यद्यपि दिखता लघु अवश्य है किन्तु छिपाये है गुरु-तत्व,
'ऊ' के चिंतन से मानस की ऊर्जा ऊर्र्ध्वगामी हो हटाये जड़त्व,
एकत्व की भावना जगाये 'ए' से एक देश एक भाषा हो जाये,
ऐश्वर्यपूर्ण 'ऐ'रावत जैसा पुन: ऐसा भारत देश हो जाये,
'ओ' में ओमकार् समाया जिसने उच्चारा ओज बल पाया,
'औ' पढकर सौभाग्यशाली बनकर हम भाषा कौशल सीखें,
'अं'गीकृत हिन्दी को करके विश्व को रंग रंगोली सजायें,
'अ:' से पुन: भारतवर्ष को उसका शाश्वत गौरव लौटायें!

सादर सभी मातृभाषा प्रेमियों को समर्पित!
निमित्त मात्र
"मानस"




© Manas

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