...

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खुद को आज़ाद करना सीखों।

खुद को आज़ाद करना सीखों ।
मतलब ,खुद को आज़ाद कर दो
हर बंदिश से ,
जितनी बंदिश दुनिया ने नहीं लगाई
उतनी हमने खुद ही लगाई हुई है।

वैसे खुद पर लगाई बंदिशे भी
दुनिया की दी हुई है।

लेकिन अगर दुनिया को हम कुछ देते है
वो नहीं लेती।

तो हम क्यों उसके दिए हुए को संजोए रखे ।

तोड़ दीजिए हर बंदिश को और आज़ाद हो जाए।

सबसे पहले अपने मन को आज़ाद करे

क्योंकि स्वंतत्र मन ही

आपकी स्वंत्रता का आधार है।


धन्यवाद ।
नोट: मेरी कविता किसी व्यक्तिगत कृत्रिम, स्वार्थी
स्वतंत्रता का बखान नहीं हैं।

कृपया इसे एक emotional अभिवक्ति न समझे।




😊✌️ take care dear friends 💞💗❣️
© Aarti kumari singh