*ज़िंदगी*
उम्र की चादर से जब पैर हुए बाहर,
तो समझ में आया ज़िंदगी क्या है,
सपनों में रहकर सोया ज़ो रात रात भर मै,
मौत ने बताया ज़िंदगी क्या है।।
उम्मीदें सबकी पुरी करनी चाही हमने,
सपनो को...
तो समझ में आया ज़िंदगी क्या है,
सपनों में रहकर सोया ज़ो रात रात भर मै,
मौत ने बताया ज़िंदगी क्या है।।
उम्मीदें सबकी पुरी करनी चाही हमने,
सपनो को...