...

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पलायन
घर को जा रहा कोई उम्मीद को समेट कर,
रो रही है राहें, दशा अपने पथ की देखकर।
थक गई है जिंदगी, किससे अपनी व्यथा कहें,
रो रहा है गांव अब, खुद को शहर में भेजकर।।

कुछ है भाई, कुछ बहन, कुछ मां, कुछ...