...

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क्यों??
अहंकार के मद में होकर चूर,
क्यों हो गये तुम भारतीय संस्कृति से दूर।
पाश्चात्य संस्कृति का यह कैसा दीवानापन,
छोड़ घर बार,पकड़ा तुमने गैरों का दामन।।

क्यों कर रहे हो तुम लड़ाई,
तुम हो सब आपस में भाई भाई।
वेद और पुराण को भी तुम गये भूल,
क्लब और डिस्को बन गया तुम्हारा मूल।

मां सीता का त्याग,क्यों तुम भूले,
भाई लछमन का योगदान,क्यों तुम भूले।
क्यों भूले तुम, प्रह्लाद की भक्ति,
और सृष्टि संचालन में ईश्वर की शक्ति।

धन संपत्ति भोग-विलास,
है कुछ समय का खेला।
रखो याद,प्रभु सिमरन और ईश्वर भक्ति,
है चरम सुख का मेला।

© mere ehsaas