ग़ज़ल
राधा राणा की कलम से ...✍️
अजनबी बनकर रहे हम ज़िंदगी भर
बात तक ना की कभी खुद से घड़ी भर
इश्क के प्रदेश से इतनी गुजारिश,
चाहिए दिल के शहर में...
अजनबी बनकर रहे हम ज़िंदगी भर
बात तक ना की कभी खुद से घड़ी भर
इश्क के प्रदेश से इतनी गुजारिश,
चाहिए दिल के शहर में...