...

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जो कभी.....
जो कभी लेहरा के चलो तो मुझे अपना आंचल कर दो
जो कभी धूप लगे तो मुझे अपने झुलफो का बादल कर दो

जो कभी खुद को सवारो तो अपने आंखो का काजल कर दो
जो बन कर घुंघरू तेरे पैरो मे खनके मुझे वो पायल कर दो

जो हर बार तुम्हें छु पाए मुझे कानो का वो कुण्डल कर दो
जो तुम्हे हर बार देख पाए मुझे वो दर्पण कर दो

किसी रोज तुम मेरा ये ख्वाब हकीकत कर दो
अपनी एक झलक से मेरा ये शेर मुकम्मल कर दो
© Adhurekiise