...

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हमारे निश्चल प्रेम की गहराई 😘
ये वीरानियाँ खुद बया कर रही
के प्यार कितना गहराता जा रहा है
खत्म हुई उलझने अब तो
बस तू ही तू नज़र आ रहा हैं
ओढ़कर बेताबियों की चादर
तुम्हारी यादों से लिपटकर सोना है
आज भी मन का हर कोना
तुम्हारे बिन सुना सुना है..!!

पंडिताइन जी आपको सर्वस्व समर्पित
© उन्मुक्क्त अनूप