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कविता : "कामयाबी"



सूरज देखो उग रहा है
आंखो में ये स्वपन गली के लेकर ।

क्या है ये संसार हमारा
जहां किसी का कोई नहीं
कैसा ये संसार हमारा।।।

यहां सब लोगो का दिखावा है
इस संसार में कोई किसी...