...

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खामोशी
बड़ी बड़ी किताबें पढ़ते हैं सब
इक खामोशी नहीं पढ़ पाते
सब बातें बहुत करते हैं
पर किसी का दर्द समझ नहीं पाते
कहना आसान होता है
पर खुद पर जब गुजरती है
तब सबको पता चलता है
हमपर सब बेवजह शक करते
जैसे हम है नहीं
वैसा हमें कह दिया जाता है
जाने क्यों सब हमें अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं
सिर्फ बड़ी बड़ी किताबें पढ़ते हैं सब
इक खामोशी नहीं पढ़ पाते
___पल्लवी....