...

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मैं रोया तो बहोत
मैं रोया तो बहोत,
पर किसी ने बिलखते नहीं देखा ...

मेरे साये ने भी कभी,
मुझे सिसकते नहीं देखा...

हर दुख में रहा अकेला,
और सहता गया सब कुछ

सहारे के लिए मैने खुद को भी,
किसी से लिपटते नहीं देखा...

मैं चला हूँ, दौड़ा हूँ,
रेगा हूँ बस अपने हौंसलों से ...

पैर कट गए चाहे,
पर किसी ने घिसटते नहीं देखा...

किताबों में जो पढ़ा था,
उसे सच ही पाया मैने सदा..

संघर्ष के बिना,
किसी को कभी निखरते नहीं देखा...

दुनियाँ के आठवें आश्चर्य सा,
मैने खुद को तराशा है...

जर्रे जर्रे हो गया है वजूद,
पर किसी ने मुझे बिखरते नहीं देखा ॥

© Unknown Source