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देख रही हूं
ख़ामोश बैठी दुनिया के बदलते रंग देख रही हूं
अपनो के भेस में रंगीन चोलो की चमक झेल रही हूं
समझ से परे है ये दुनिया की रस्में मन में खुद को मार चेहरे से हस्ते देख रही हूं
भागे चले कुछ पाने की चाहत में खुद से मुंह मोढ़े देख रही हूं
ख़ामोश बैठी दुनिया के बदलते रंग देख रही हूं
.........
अंजलि राजभर
अपनो के भेस में रंगीन चोलो की चमक झेल रही हूं
समझ से परे है ये दुनिया की रस्में मन में खुद को मार चेहरे से हस्ते देख रही हूं
भागे चले कुछ पाने की चाहत में खुद से मुंह मोढ़े देख रही हूं
ख़ामोश बैठी दुनिया के बदलते रंग देख रही हूं
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अंजलि राजभर
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