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जिस्म
PREEET------

जानवर इंसान पशु पक्षी या
फिर टुटे दरख्तों के जो शाख होते है
प्यार अपनापन अपने रिश्ते
यहाँ पर जो पाक होते है
दो गज कफन मे सिमट जाती है
जिंदगियां PREEET
अतः मे सब साथ छौड़ जाते है
रिश्ते सब राख होते है
दर्द जब आ जाये जिंदगी मे
तो PREEET रिश्ते तिलमिला जाते है
वो ही गैर बनने लगते है दोस्त जो
हर पल अपना कहलाते है
Roshni कोई आती नही जिंदगी मे PREEET
अन्धेरे मे जान रहती है
कोई तो है दीवानी शायरी की
दूर वो अंजान रहती है
सावन की फिर जरूरत क्या है PREEET
जब आसूँऔ से बरसात बनती है
चाहने वाला गर कोई न हो जिंदगी मे
तो जिंदगी की कहाँ जिंदगी के साथ बनती है
© आवारा पागल दीवाना