मौन व्रत
#अपराध
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है
नित नई बाधा से संवाद करता है
हलचलों से भरे समंदर के बीच
हर दिन हर पल जीता मरता है
ये मन बड़ा मासूम है पगले!
टूट जाता है ,जब इसपर कोई वार करता है
कभी खड़ा होता...
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है
नित नई बाधा से संवाद करता है
हलचलों से भरे समंदर के बीच
हर दिन हर पल जीता मरता है
ये मन बड़ा मासूम है पगले!
टूट जाता है ,जब इसपर कोई वार करता है
कभी खड़ा होता...